संयुक्त राज्य अमरीका और युनाईटेड किंगडम में बीसवीं शताब्दी में पुस्तकालय विकास (Library Development in USA & UK in Twentieth Century)
बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमरीका में पुस्तकालय विकास :
संयुक्त राज्य अमरीका को पुस्तकालयों की भूमि (Land of Libraries) की संज्ञा से विभूषित किया जाता है। इस देश में बीसवीं शताब्दी में जन पुस्तकालयों का अप्रतिम विकास हुआ। इसमें एन्ड्रयू कॉरनेगी (Andrew Carnegie) का योगदान अभूतपूर्व है। एन्ड्रयू कॉरनेगी का जन्म अत्यन्त निर्धन परिवार में आ था। आपको अपने भविष्य निर्माण में पुस्तकालयों से बड़ी सहायता मिली। कालान्तर में आप एक स्टील उद्योग के उद्योगपति बन गये। आपने अपनी समस्त सफलता का श्रेय पुस्तकालयों को दिया और कॉरनेगी कॉरपोरेशन की स्थापना के अर्न्तगत संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा में विभिन्न जन पुस्तकालयों को लगभग डालर 4,26,85,000 का अनुदान दिया। भारत को भी जन पुस्तकालय विकास के लिए ऐसे ही एक कॉरनेगी की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त फोर्ड फॉउन्डेशन, रॉकफेलर फॉउन्डेशन तथा जनरल एजूकेशन बोर्ड आदि ने भी जन पुस्तकालयों की स्थापना और संचालन के लिए उदार अनुदान प्रदान करके, पुस्तकालय विकास को गति प्रदान की।
पुस्तकालय अधिनियम
भारत के समान संयुक्त राज्य अमरीका में भी पुस्तकालय सेवा प्रदान करना राज्य सरकार का उत्तरदायित्व है। सन् 1960 तक सभी अमरीकी राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम पारित हो चुके थे। सन् 1954 में पारित पब्लिक लॉ 480 (पीएल 480) के तहत लॉयब्रेरी ऑफ कांग्रेस को विदेशों में दिये गये ऋण के बदले वहाँ पुस्तकें खरीदने का अधिकार दिया गया। सन् 1956 अमरीका में पुस्तकालयों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष लॉयब्रेरी सर्विसेज एक्ट लागू किया गया। इस अधिनियम के तहत अमरीका के सभी राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तम पुस्तकालय सेवा पर बल दिया गया। सन् 1967 में इस अधिनियम में संशोधन करके उसे ‘लॉयब्रेरी सर्विसेज एण्ड रिकंस्ट्रक्शन एक्ट’ के नाम से पुनः पारित किया गया।
सन् 1970 में संघीय सरकार ने नेशनल कमीशन ऑफ लॉयब्रेरी एण्ड इन्फॉर्मेशन सांइस (NCLIS) नामक आयोग की स्थापना की। इस आयोग के प्रमुख कार्य निम्नानुसार है: –
- पुस्तकालयों के विकास के लिये राष्ट्रपति, कांग्रेस, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को सलाह देना;
- विद्यमान पुस्तकालय सेवा की कमियों से राष्ट्रपति और कांग्रेस आदि को अवगत कराना:
- अमरीकी जनता की पुस्तकालय संबंधी आवश्यकताओं का समय-समय पर सर्वेक्षण आदि करके पता लगाना; और
- उनकी पुस्तकालय संबंधी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिये पुस्तकालय सेवा की विकास योजनायें निर्मित करना।
अब प्रत्येक राज्य में निम्नांकित प्रकार के जन पुस्तकालय कार्यरत हैं: - राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय
- नगरपालिका पुस्तकालय
- एक विद्यालय मण्डल में जन पुस्तकालय
- काउन्टी पुस्तकालय
- उदान पुस्तकालय
अमरीकन जन पुस्तकालयों की विशेषतायें - पुस्तकालय सेवा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदान की जाती है।
- अमरीकी जन पुस्तकालय, स्थानीय संस्थायें हैं और सामुदायिक केन्द्र के रूप में अधिकांश जनता को आकर्षित करने में समर्थ हैं।
- ग्रन्थों तथा उनके उपयोगकर्ताओं में सम्पर्क स्थापित करने के लिये व्याख्यानों, चलचित्र प्रदर्शनों, प्रदर्शिनियों और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। पुस्तकालय सेवा का प्रचार रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्रों के दारा और गन्ध सूचियों के वितरण द्वारा भी किया जाता है।
- जन पुस्तकालय सेवा विद्यालयों, महाविद्यालयों, क्लबों, चर्चों और अन्य सामाजिक संस्थाओं की सेवाओं के पूरक के रूप में कार्य करती है।
अमरीका में अधिनियम पर आधारित निःशुल्क जन पुस्तकालय सेवा प्रभावकारी ढंग से चल रही है। इसके लिये संघीय सरकार, राज्य और स्थानीय निकाय अपने स्तर पर अपनी भूमिकाओं का उचित ढ़ग से निर्वहन के कर रहे है। प्रौढ़ शिक्षा में इनकी भूमिका सराहनीय है। पुस्तकालयों में बालविभाग का प्रावधान है और शाखा पुस्तकालयों और चल पुस्तकालयों द्वारा भी समग्र पुस्तकालय सेवा प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पुस्तकालय सामाजिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में कार्यरत हैं।
संयुक्त राज्य अमरीका का राष्ट्रीय पुस्तकालय लॉयब्रेरी ऑफ कांग्रेस : स्थापना सन् 1800 में हुई थी। इसकी गणना संसार के विशालतम पुस्तकालयों में होती है। 30 सितम्बर 1984 तक इसमें लगभग 8 करोड़ 20 लाख ग्रन्थ संग्रहित हो चुके थे। सन् 1964 में इसका बजट डालर 24,90,26,000 था। 1 अक्टूबर 1984 को इसमें कर्मचारियों की संख्या 531 थी। इसके ग्रन्थालयी की नियुक्ति सीनेट की सहमति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसका संगठन निम्नांकित विभागों के अन्तर्गत किया गया है:- - ग्रन्थालयी का कार्यालय
- राष्ट्रीय कार्यक्रम विभाग
- प्रबन्धन विभाग
- 4.प्रतिलिप्याधिकार कार्यालय
- विधि संग्रहालय
- प्रस्तुतिकरण सेवायें विभाग
- अनुसन्धान सेवायें विभाग
इस पुस्तकालय के प्रमुख कार्य निम्नानुसार हैं: - व्यापक रूप से संग्रह निर्माण करना।
- अन्य देशों की सरकारों से विनिमय, प्रतिलिप्याधिकार और विधि निक्षेपों से लाभान्वित होना।
- उपहार (व्यक्तिगत दस्तावेज, अलभ्य ग्रन्थ उपहार) तथा संदान राशियाँ प्राप्त करना।
- विश्वव्यापी ग्रन्थ अर्जन का कार्यक्रम संचालित करना।
- वर्गीकरण और विषय शीर्षक सूचियाँ निर्मित करना और उनको अद्यतन रखना
- सूचीकरण के राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में कार्य करना।
- राष्ट्रीय सूची वितरण सेवा प्रदान करना।
- ‘नेशनल यूनियन केटॉलॉग’ के नाम से राष्ट्रीय ग्रन्थ सूची का संकलन और प्रकाशन करना।
- सन्दर्भ सेवा प्रदान करना।
- अन्तराग्रन्थालयीन आदान सेवा प्रदान करना।
- दृष्टिहीनों के लिये राष्ट्रीय पुस्तक कार्यक्रम संचालित करना।
- पुस्तकालय सामग्री के संरक्षण के लिये कार्यक्रम संचालित करना।
- राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी कार्यक्रमों में जैसे विवरणात्मक सूचिकरण, ऐंग्लो- अमरीकन केटॉलागिंग रूल्स के विकास आदि में संलग्न रहना है।
- प्रकाशन में संलग्न रहना है।
- पुस्तकालय तकनीक में प्रयोग और अनुसन्धान संचालित करना।
इस राष्ट्रीय पुस्तकालय के अतिरिक्त नेशनल लॉयब्रेरी ऑफ मेडीसन तथा नेशनल लॉयब्रेरी अलग से विकसित किये गये हैं
नेशनल लॉयब्रेरी ऑफ मेडीसन : इस पुस्तकालय की स्थापना सन् 1936 में आर्मी जनरल्स कार्यालय के पुस्तकालय के रूप में हुई थी। सन् 1922 में इस पुस्तकालय का नाम आर्मी मेडीकल लॉयब्रेरी हो गया। सन् 1952 में इसका नाम आई फोर्सिज मेडिकल लॉयब्रेरी कर दिया गया। सन् 1956 में इसको नेशनल लॉयब्रेरी ऑफ मेडीसन बनाया गया।
सन् 1964 में ‘Medical Literature Analysis and Retrieval System (=MEDLARS)’ का क्रियान्वयन हुआ। कालान्तर में इसका उपयोग “इन्डेक्स मेडीक्स ” निकालने के लिये किया गया जिसका प्रकाशन जनवरी 1879 से आरंभ हुआ था। ‘इन्डेक्स केटॉलॉग ऑफ दी लॉयब्रेरी ऑफ दी सर्जन जनरल्स ऑफिस का प्रकाशन सन् 1880 से आरंभ हुआ था।
इस पुस्तकालय में 30 लाख से अधिक ग्रन्थ संग्रहित हैं। वर्गीकरण के लिये स्वनिर्मित वर्गीकरण पद्धति “नेशनल लॉयब्रेरी ऑफ मेडीसन क्लैसीफिकेशन का उपयोग किया जाता है। सूचीकरण के लिये भी इसके अपने नियम हैं। विषय शीर्षकों के लिये “मेडीकल सब्जेक्ट हॅडिग्स” को अपनाया गया है। इस पुस्तकालय द्वारा संग्रहण तक पुनः प्राप्ति के लिये एक यंत्रीकृत प्रणाली विकसित की गई है जिसका नाम “मेडलर्स” है। ‘इन्डेक्स मेडीक्स’ इसका महत्वपूर्ण मासिक प्रकाशन है जिसका वार्षिक संचयन होता है। इसमें प्रतिवर्ष चिकित्सा विज्ञान से संबंधित लगभग 2400 पत्रिकाओं से लगभग 2,50,000 लेखों को अनुक्रमाणित किया जाता है।
नेशनल एग्रीकल्चरल लॉयब्रेरी : इसकी स्थापना कृषि विभाग के अन्तर्गत 1862 में हुई। सन् 1978 में यह पुस्तकालय संयुक्त राज्य अमरीका के कृषि विभाग के अधीन, विज्ञान तथा शिक्षा प्रशासन के अन्तर्गत तकनीकी सूचना तन्त्र का एक अंग बन गया है। सन् 1982-83 में इस पुस्तकालय में मुद्रित ग्रन्थों की संख्या 18,00,000 थी। इसके अतिरिक्त 65,000 माइक्रोकार्डस, 4,02,000 माइक्रोफिश और 12,000 फिल्म इसमें संग्रहित थीं। वर्ष 1982-83 में 27,201 पत्रिकायें मंगवाई गई। इस वर्ष इसका कुल बजट डालर 88,49,000 था। यह लॉयब्रेरी “एग्रीकल्चरल लॉयब्रेरी इन्फॉर्मेशन नोट्स न्यूजलैटर’ का प्रकाशन करती है और “एग्रीकोला’ के नाम से समस्त विश्व में सबसे बड़ी कृषि वांड़गमय आधार सामग्री प्रकाशित करती है जिसमें 15 लाख से भी ऊपर साइटेशन्स होते हैं।
अमरीकन लॉयब्रेरी एसोसियेशन : आधुनिक पुस्तकालय वर्गीकरण के जनक मेलविल ड्यूई के सप्रयासों से 4 अक्टूबर 1876 को अमरीकन लॉयब्रेरी एसोसियेशन की स्थापना हुई और आप इसके संस्थापक सचिव निर्वाचित हुए आपने ही इस संघ का ध्येय “न्यूनतम व्यय पर अधिकतम लोगों के लिये, श्रेष्ठतम पाद्य-सामग्री” निश्चित किया और ALA (American Library Association) का दूसरा अर्थ “Ask Library Any thing’ (पुस्तकालय से कुछ भी पूछिये)” निर्धारित किया। इस संघ ने अमरीका में पुस्तकालय आन्दोलन को गति प्रदान करने और पुस्तकालय चेतना को विकसित करने में सराहनीय कार्य किया। इसके सप्रयासों से सन् 1887 तक ही 20 राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम पारित हो गये। इस संघ ने पुस्तकालय क्षेत्र में कई प्रकार के कार्य किये जिनमें से निम्नांकित सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं: - पुस्तकालय न्यासियों (trustees) और पुस्तकालय मित्रों को स्थानीय और राष्ट्रीय क्रिया-कलापों हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
- प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह आयोजित किया जाता है। इसके अन्तर्गत जन- पुस्तकालय सेवा के महत्व को स्पष्ट करने के लिये जन-सम्पर्क क्रिया-कलाप आयोजित किये जाते हैं।
- प्रतिभाशाली युवाओं को पुस्तकालय व्यवसाय के प्रति आकर्षित करने के लिये संघ दद्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम अपनाया गया है।
संगठन की दृष्टि से यह संघ 64 विभागों में विभक्त है। इसके मुख्यालय पर 100 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। राज्य पुस्तकालय संघ और क्षेत्रीय पुस्तकालय संघ इसके अंगों के रूप में कार्य करते हैं। इसकी सदस्य संख्या 37,000 से भी अधिक है और वार्षिक सम्मेलन में लगभग 7000 सदस्य भाग लेते हैं।
इस संघ ने दो महत्वपूर्ण वक्तव्यों (Statements) को अपनायाः - पुस्तकालय अधिकारों का विधेयक (Library Bill of Rights); और
- पठन-पाठन की स्वतंत्रता । (Freedom of Reading)
अन्य पुस्तकालय संघ : संयुक्त राज्य अमरीका में स्पेशल लॉयब्रेरीज़ एसोसियेशन, मेडिकल लॉयब्रेरीज़ एसोसियेशन तथा एसोसियेशन ऑफ अमरीकन लॉयब्रेरी स्कूल्स आदि अन्य राष्ट्रीय संघ कार्यरत हैं।
पुस्तकालय प्रशिक्षण : कदाचित समग्र विश्व में पुस्तकालय विज्ञान में प्रथम प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने का श्रेय मेलविल ड्यूई को है। आपने कोलम्बिया महाविद्यालय में सन् 1887 में पुस्तकालय पाठ्यचर्या का शुभारम्भ किया। सन् 1920 तक अमरीका में पुस्तकालय विज्ञान प्रशिक्षण के 14 केन्द्र स्थापित हो चुके थे जिनमें से तीन स्नातकोत्तर प्रशिक्षण प्रदान करते थे। कॉरनेगी कॉरपोरेशन ने पुस्तकालय विज्ञान प्रशिक्षण संस्थाओं को उदारतापूर्वक अनुदान दिया।
विलियमसन प्रतिवेदन में विश्वविद्यालयों दारा केवल स्नातकोत्तर प्रशिक्षण प्रदान करने की अनुशंसा की गई। निम्न स्तर का प्रशिक्षण व्यावसायिक संस्थाओं अथवा पुस्तकालयों को सौंपने की अनुशंसा की गई। भविष्य में इसी के आधार पर पुस्तकालय प्रशिक्षण का विकास किया गया।
अमरीकन लॉयब्रेरी एसोसिएशन द्वारा सन् 1924 में “बोर्ड ऑफ एजूकेशन फॉर लॉयब्रेरियनशिप” का गठन किया गये। इसके दारा पुस्तकालय विज्ञान के प्रशिक्षण केन्द्रों के मूल्यांकन के लिये मानदण्डों (Standards) का निर्माण किया गया जिनके आधार पर संघ दारा प्रशिक्षण केन्द्रों को मान्यता (‘Accreditation) प्रदान की गई। अमरीकी विश्वविद्यालयों दारा पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक, स्नात्कोत्तर और शोधोपाधि (Ph.D.) प्रदान करने का प्रावधान है। इस समय अमरीका में लगभग 334 प्रशिक्षण संस्थायें हैं जिनमें से केवल 42 संघ द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
विश्व की सर्वप्रथम वर्गीकरण प्रणाली “डेसीमल क्लैसीफिकेशन” के प्रतिपादन का श्रेय भी संयुक्त राज्य अमरीका के मेलविल ड्यूई को है जिसका प्रकाशन 1876 में हुआ। आज तक यही प्रणाली विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय वर्गीकरण प्रणाली बनी हुई है।
वर्तमान स्थिति : जन पुस्तकालय सेवायेंः संयुक्त राज्य अमरीका के जन पुस्तकालय सभी को सूचना तथा सन्दर्भ सेवा प्रदान करते हैं। अमरीका में जन पुस्तकालयों को “लोक विश्वविद्यालयों” की संज्ञा प्रदान की गई है। यही के जन पुस्तकालय “व्यक्तियों” तथा “समूहों” दोनों को पुस्तकालय सेवा प्रदान करते है। व्यक्तियों को पाठक परामर्शदात्री सेवा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा वे अध्ययन के सुनियोजित कार्यक्रम बनाने में समर्थ होते हैं। “समूहों को विस्तार सेवा के माध्यम से अर्थात क्लबों, चर्चों और विद्यालयों में कार्य करके पुस्तकालय सेवा प्रदान की जाती है। किशोर-किशोरियों को पुस्तकालय सेवा प्रदान करने पर विशेष बल दिया जाता है जिससे पठन- पाठन में उनकी रुचि जाग्रित हो सके और उसको चिरस्थायी किया जा सके। 65 वर्ष के ऊपर के स्त्री-पुरुषों अर्थात “वरिष्ठ नागरिकों” को भी विशेष रूप से जन पुस्तकालय सेवा प्रदान की जाती है।
अमरीका के प्रत्येक राज्य में राज्य स्तर पर एक या अधिक पुस्तकालय, राज्य सरकार को राज्यव्यापी जन पुस्तकालय सेवा प्रदान करने के लिये स्थापित किये गये हैं। वहाँ सभी जन पुस्तकालय नगरपालिकाओं दारा संस्थापित या संचालित नहीं हैं। 50 राज्यों को 3000 काउंटीज़ में बांटा गया है जिनमें से एक चौथाई में काउंटी पुस्तकालय हैं। न्यासियों के पुस्तकालय मण्डल की नियुक्ति महापौर (Mayor) द्वारा अथवा उनका निर्वाचन नागरिकों द्वारा किया जाता है। नगर पुस्तकालय प्राधिकरणों को जन पुस्तकालय हेतु या तो एक मुश्त अनुदान दिया जाता है अथवा विधि के अधीन उनको एक विशिष्ट कर लगाने की अनुमति प्रदान की जाती है।
संयुक्त राज्य अमरीका में पुस्तकालय विकास में ‘लायब्रेरी सर्विस एक्ट 1958’ का विशेष योगदान रहा है। मार्च 1961 तक सभी 50 राज्य इसके अन्तर्गत आ गये थे। एक प्रतिवेदन के अनुसार जून 1961 तक ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3,60,00000 निवासियों को जन पुस्तकालय सेवा प्राप्त थी और 200 काउंटीज के लगभग 1,80,00000 रहवासी तब भी पुस्तकालय सेवा से वंचित रहे। इस समय अमरीका में लगभग 7,600 जन पुस्तकालय तन्त्र (Public Library system) हैं जिनमें लगभग 21,000 प्रशिक्षित व्यक्ति कार्य करते है। न्यूयार्क जन पुस्तकालय की 66 शाखायें है। यह पुस्तकालय संसार का विशालतम जन पुस्तकालय तन्त्र है। वहाँ अभी भी प्रशिक्षित ग्रंथालयियों का अभाव है।
“लॉयब्रेरी जर्नल’ के लिये किये गये एक सर्वेक्षण (Survey) के अनुसार अधिकांश पुस्तकालयों में ग्रन्थों के परिसंचरण में गिरावट आई है। क्योंकि अधिकांश छात्र-छात्रायें अपने विद्यालय, महाविद्यालय पुस्तकालयों से वांछित सेवा प्राप्त कर लेते हैं अथवा अपने निजी ग्रन्थ क्रय कर लेते हैं।
बीसवीं शताब्दी में युनाईटेड किंगडम में पुस्तकालय का विकास
पुस्तकालय अधिनियम : यूनाईटेड किंगडम को समग्र विश्व में सन् 1850 में सर्वप्रथम जन पुस्तकालय अधिनियम पारित करने का गौरव प्राप्त है। अधिनियम पारित कराने और पुस्तकालय अधिनियम को गति देने में ब्रिटिश म्यूजियम लॉयब्रेरी के तत्कालीन सहायक ग्रंथालयी एडवर्ड एडवर्ड्स, पार्लियामेन्ट के सदस्य विल्यियम एवार्ट तथा, ब्रोथर्टन के अतिरिक्त थॉमस ग्रीनवुड ने विशेष प्रयास किये। सन् 1850 के पश्चात् ब्रिटेन में सन् 1853, 1855, 1892, 1893, और 1898 में भी उन्नीसवीं शताब्दी में पुस्तकालय अधिनियम पारित हुए इनका श्रेय मुख्य रूप से थॉमस ग्रीनवुड को है।
सन् 1855 के पश्चात् एक अन्य महत्वपूर्ण अधिनियम 23 दिसम्बर 1919 को पारित हुआ। इस अधिनियम के दारा इंग्लैण्ड तथा वेल्स में पुस्तकालय उपकर की सीमा हटा दी गई। काउंटी परिषदें पुस्तकालय अधिनियम को अपने क्षेत्र में समूचे का समूचा अथवा किसी अंश के लिये अंगीकृत करने के लिये अधिकृत की गई। इस अधिनियम को (ब्रिटिश) लॉयब्रेरी एसोसियेशन का सहयोग प्राप्त हुआ। 1924 से 1938 के मध्य नगर जन पुस्तकालयों में सदस्यों की संख्या दुगनी हो गई और काउन्टी पुस्तकालयों की सदस्यता में 87% की वृद्धि हुई। सन् 1855 में “पब्लिक लॉयब्रेरीज़ (स्कॉटलैण्ड) एक्ट” पारित हुआ। सन् 1984 में “पब्लिक लायब्रेरीज़ एण्ड म्यूजियम एक्ट” पारित हुआ जिसके अधीन अभी भी स्थानीय निकायों को पुस्तकालय अधिनियम को अंगीकृत करना ऐच्छिक है। अनेक क्षेत्रों में अभी तक इसको अंगीकृत नहीं किया गया है। भिन्न भिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न पुस्तकालय उपकर लगाये गये हैं। अतः पुस्तकालय सेवा में विभिन्नता है और पुस्तकालय सेवा में एकरूपता, एकीकरण तथा मानकीकरण स्थापित नहीं हो सका है।
मैकॉल्विन समिति का प्रतिवेदनः एल. ऑर. मैकॉल्विन ने युनाईटेड किंगडम में जन पुस्तकालयों का छः वर्ष तक सर्वेक्षण करके एक सर्वेक्षण प्रतिवेदन तैयार किया। यद्यपि यह कोई सरकारी प्रतिवेदन नहीं था तथापि इस प्रतिवेदन ने जन पुस्तकालयों की स्थिति सुधारने के लिये उन बातों पर बल दिया जिन्होंने पूरे देश में पुस्तकालयों के विकास में जैसे जन पुस्तकालय सेवा का व्यापक प्रसार, पुस्तकालय सहयोग आदि में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
राबर्ट समिति का प्रतिवेदनः इस समिति की स्थापना सन् 1957 में हुई थी। इसके अध्यक्ष सर सिडनी राबर्ट थे। इस समिति के प्रतिवेदन में जन पुस्तकालय तथा अन्तरग्रंथालयीन सहयोग के क्षेत्र में और अधिनियम पारित करने की आवश्यकता व्यक्त की गई। इसका प्रतिवेदन सन् 1959 में प्रकाशित हुआ। इस समिति ने युगांतकारी अनुशंसायें कीं जिनके कारण पुस्तकालय आन्दोलन को बहुत बल मिला। इसी के फलस्वरूप सन् 1984 का उपरोक्त पब्लिक लॉयब्रेरीज एण्ड म्यूजियम एक्ट (1964) पारित हुआ।
जन पुस्तकालय सेवा की वर्तमान स्थिति
युनाईटेड किंगडम में जन पुस्तकालय सेवा के लिये सरकार से अनुदान नहीं मिलता है। समस्त धनराशि स्थानीय निकायों दारा ही जुटाई जाती है। पुस्तकालय उपकर पर किसी प्रकार की सीमा नहीं है। कितनी राशि किस प्रकार व्यय की जाय, इस पर स्थानीय पुस्तकालय प्राधिकरणों पर सरकार का किसी भी प्रकार का बन्धन नहीं है और न नियंत्रण अथवा निरीक्षण है। अतः विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय सेवा से विभिन्नता है। पिछले 100 वर्षों में 500 से भी अधिक पुस्तकालय प्राधिकरण हो गये हैं, और 40, 000 से भी अधिक सेवा स्थल हो गये हैं जिनमें 7, 70,000,00 से भी अधिक पुस्तकें हैं, 12,000, 0000 पाठक प्रति वर्ष 30,0000000 पुस्तकें आदान पर प्राप्त करते हैं। ब्रिटिश जन पुस्तकालयों में मुख्यतः तीन प्रकार की पुस्तकालय सेवायें प्रदान की जाती हैं: - घर पर पढ़ने के लिये ग्रन्थों का आदान:
- पुस्तकालय परिसीमा में पाद्य सामग्री के अध्ययन की सुविधा और पाठकों को सूचनासेवा अर्थात् सेवा: और
- सामयिक प्रकाशनों पत्रिकाओं के वाचन की सुविधा।
सन् 1960 तक से शत-प्रतिशत जनता को जन पुस्तकालय सेवा प्राप्त हो गई। अब वहाँ प्रत्येक तीन व्यक्तियों एवं समाज में से एक व्यक्ति नियमित रूप से जन पुस्तकालयों का उपयोग करता है। इतना सब कुछ होते हुए भी यह समझना भूल होगी कि ब्रिटेन में पुस्तकालय सेवा अपनी पूर्णता को प्राप्त हो गई है। फिर भी वहाँ इस दिशा में आशातीत प्रगति हुई है।
सामान्यतः सभी जन पुस्तकालयों में अबाध प्रवेश्य (Open Access) प्रणाली अपनायी जाती है। कुछ बड़े जन पुस्तकालयों में उपरोक्त सेवाओं के अतिरिक्त कुछ और भी सेवायें प्रदान की जाती हैं। छोटे पुस्तकालयों में उनमें से एक अथवा दो ही सेवायें उपलब्ध है।
युनाईटेड किंगडम में जन पुस्तकालय प्रभावशील ढंग से कार्य कर रहे हूँ। वहाँ की पुस्तकालय सेवा में स्वैच्छिक संस्थानों का भी योगदान है।
युनाईटेड किंगडम का राष्ट्रीय पुस्तकालय “दी ब्रिटिश लायब्रेरी”
“दी ब्रिटिश लॉयब्रेरी की स्थापना जुलाई 1973 में हुई। इसका उद्देश्य विद्यमान राष्ट्रीय और अर्ध राष्ट्रीय पुस्तकालयों को विलय करके एक पुस्तकालय तन्त्र का निर्माण करना था। इसके तीन प्रभाग हैं: - सन्दर्भ प्रभाग
- आदान प्रभाग
- वाङ्ङ्गमय सेवा प्रभाग
सन्दर्भ प्रभाग के अन्तर्गत ब्रिटिश म्यूजियम के पुस्तकालय विभाग और सांइस रेफ्रेन्स लॉयब्रेरी समाहित थे। आदान प्रभाग में नेशनल लेण्डिंग लॉयब्रेरी ऑफ सांइस एण्ड टेक्नॉलॉजी और नेशनल सेन्ट्रल लॉयब्रेरी समाहित थे। वाङ्ङ्गमय सेवा के अन्तर्गत ब्रिटिश नेशनल बिब्लियोग्राफी और कॉपीराइट रिसीट ऑफिस सम्मिलित थे।
ब्रिटिश लॉयब्रेरी, युनाईटेड किंगडम में समस्त पुस्तकालय सेवाओं और पुस्तकालय तन्त्र का केन्द्र बिन्दु है। युनाईटेड किंगडम में प्रकाशित प्रत्येक गन्ध की प्रति इसको निःशुल्क प्राप्त होती है। यह पुस्तकालय ब्रिटिश जनता और प्रवासियों को पत्राचार के दारा विभिन्न प्रकार की सेवायें प्रदान करता है। यह पुस्तकालय सही अर्थों में एक राष्ट्रीय पुस्तकालय है।
इस पुस्तकालय के अतिरिक्त दी सांइस लॉयब्रेरी, दी पेटेन्ट ऑफिस लॉयब्रेरी, विक्टोरिया एण्ड एलबर्ट म्यूजियम ‘लॉयब्रेरी, ज्योलोजीकल म्यूजियम लॉयब्रेरी और डिपार्टमेन्ट ऑफ सांइटिफिक एण्ड इन्डस्ट्रीयल रिसर्च लॉयबेरी आदि अन्य बड़े पुस्तकालय
दी लॉयब्रेरी एसोसियेशन
युनाईटेड किंगडम में “दी लायेब्रेरी एसोसियेशन ऑफ दि युनाईटेड किंगडम” जिसको सामान्यतः ‘ ‘दि लायब्रेरी एसोसियेशन” के नाम से पुकारा जाता है, की स्थापना सन् 1877 में हुई। इसकी स्थापना का श्रेय मुख्यतः एडवर्ड बी. निकोलसन को है। उस समय इसका मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार निश्चित किया गयाः
“विद्यमान पुस्तकालयों का सर्वश्रेष्ठ सम्मान्य प्रशासन और जहाँ वांछनीय हो नवीन पुस्तकालयों की स्थापना के लिये पुस्तकालय में कार्यरत अथवा रुचि लेने वाले समस्त लोगों को संगठित करना। इसका उद्देश्य ब्रांड्ङ्गमय अनुसंधान (Bibliographical Research) को प्रोत्साहित करना भी होगा।””
कालान्तर में इसका मुख्य उद्देश्य “पुस्तकालयों की स्थिति तथा योग्यताओं को उन्नत करने के लिये आवश्यक प्रयास करना हो गया।” परन्तु फिर ‘भी यह संघ केवल पुस्तकालय कर्मियों के हितो के लिए ही कार्यशील नहीं रहा। ऐसे अनेक व्यक्ति भी इसके सदस्य रहे जो पुस्तकालय व्यवसाय में कार्यरत नहीं थे।
सन् 1898 में इस संघ को सरकार की मान्यता प्राप्त हुई। सन् 1973 में इस संघ के सदस्यों की संख्या लगभग 21,000 थी। संघ का अपना भवन है, जिसमें लगभग 70 कर्मचारी कार्यरत हैं। संघ की 13 क्षेत्रीय शाखायें हैं और 17 समूह हैं।। संघ में 60 सदस्यों की एक निर्वाचित परिषद है जो 7 मुख्य समितियों में विभाजित हैं। सरकार तथा अन्य निकाय संघ दारा परामर्श प्राप्त करते हैं।
- MINTO (John) History of Public Library Movement in Great Britain and Ireland. 1932. P. 164 2. Ibid. P. 165
संघ के कार्य : - सम्मेलन आयोजित करना संघ द्वारा व्यावसायिक प्रकरणों पर और पुस्तकालय कर्मियों पर विचार विमर्श करने के लिये समय-समय पर सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं।
- पुस्तकालय कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता तथा सामाजिक स्तर की उन्नति के लिये प्रयास किये जाते हैं।
- संघ प्रति वर्ष ग्रंथालयीनता में प्रवेशिका (Entrance), एसोसियेट (Associate =ALA) तथा फैलोशिप (Fellowship-FLA) स्तर की परीक्षायें आयोजित करता है और प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
- प्रशिक्षित पुस्तकालय कर्मियों की एक पंजी (Register) निर्मित करता है और उनके हितो की रक्षा करता है।
- जन पुस्तकालय अधिनियम अंगीकृत करने तथा जन पुस्तकालय स्थापित करने के लिये स्थानीय निकायों को प्रेरित करता है। पुस्तकालय अधिनियम में वांछित संशोधन करवाने के भी प्रयास करता है।
- राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह आयोजित करके जन साधारण में, पुस्तकालय चेतना जाग्रित करता है।
- सूचीकरण में एकरूपता तथा परिशुद्धता लाने के लिये सूचीकरण नियमों के निर्माण के लिये सक्रिय प्रयास करता है। “ऐंग्लो-अमरीकन केटॉलागिंग रूल्स” के निर्माण में इस संघ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
संघ के प्रकाशन:- - लायब्रेरी एसोसियेशन रिकार्ड (Library Association Record) (मासिक पत्रिका)।
- लायब्रेरी एण्ड इन्फारमेशन साइंस एब्सट्रेक्ट्स (Library and Information Science Abstracts) ( द्विमासिक पत्रिका)।
- जर्नल ऑफ लॉयब्रेरियनशिप (Journal of Librarianship) (त्रैमासिक पत्रिका)।
- ब्रिटिश टेक्नॉलॉजी इन्डेक्स (British Technology Index (त्रैमासिक पत्रिका)
अन्य पुस्तकालय संघ
उपरोक्त दी लॉयब्रेरी एसोसियेशन के संगठन अंग के रूप में “एसोसियेशन ऑफ असिस्टेन्ट लायब्रेरियन्स” नामक संघ का गठन किया गया है और विशिष्ट ग्रंथालयियों ने “एसोसियेशन ऑफ स्पेशल लायब्रेरिज़ एण्ड इन्फार्मेशन ब्यरोज़ (ASLB) की स्थापना की है।
शैक्षणिक पुस्तकालय
विद्यालयीन पुस्तकालय यूनाईटेड किंगडम में विद्यालयीन पुस्तकालयों के अनुरक्षण के लिये प्रति छात्र की दर से शिक्षा निकायों से अनुदान प्राप्त होता है। विद्यालयीन पुस्तकालय सामान्यतः अंशकालिक शिक्षक ग्रंथालयी के अन्तर्गत सेवा प्रदान करते हैं।
विश्वविद्यालयीन तथा महाविद्यालयीन पुस्तकालय प्राचीन विश्वविद्यालयीन पुस्तकालय ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिज, पाठ्य सामग्री को पुस्तकालय सीमा में ही अध्ययन करने की अनुमति प्रदान करते हैं और ग्रन्थ आदान नहीं करते। संगठक महाविद्यालयीन पुस्तकालय आदान सुविधायें प्रदान करते हैं। स्कॉटलैण्ड के विश्वविद्यालयीन पुस्तकालय पुस्तकें आदान भी करते हैं।
ब्रिटिश विश्वविद्यालयीन और महाविद्यालयीन पुस्तकालयों में प्रशिक्षित कर्मचारी कार्यरत हैं। यह पुस्तकालय श्रेष्ठ पुस्तकालय सेवा प्रदान करते हैं। वहाँ की विश्वविद्यालय अनुदान समिति (University Grants Committee) ने सन् 1967 में पैरी रिपोर्ट का प्रकाशन किया जो विश्वविद्यालयीन और महाविद्यालयीन पुस्तकालयों से संबंधित है। पैरी समिति ने ब्रिटेन में विश्वविद्यालयीन तथा महाविद्यालयीन पुस्तकालयों की वर्तमान दशा का अध्ययन करके उनके सुधार के लिये अनेक अनुशंसायें की। इनमें से कुछ को लागू किया गया है और अनेक को भविष्य में व्यवहार में लाया जायेगा।
पुस्तकालय प्रशिक्षण
युनाईटेड किंगडम में पुस्तकालय प्रशिक्षण का शुभारंभ सन् 1885 में करने का श्रेय वहाँ के पुस्तकालय संघ “दी लायब्रेरी एसोसियेशन” को है। सन् 1931 के पाठ्यक्रम के अनुसार तीन प्रकार की परीक्षायें संघ दारा आयोजित की जाती हेः
- प्रवेशिका अथवा आरम्भिक परीक्षा (Entrance or Elementary Examination)
- एसोसियेट ऑफ लॉयब्रेरी एसोसियेशन (= ALA Examination) अथवा माध्यमिक परीक्षा,
- फैली ऑफ लॉयब्रेरी एसोसियेशन (FLA Examination) अथवा आनम परीक्षा।
इसके अतिरिक्त वहाँ विश्वविद्यालयीन स्तर पर पुस्तकालय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। लन्दन स्कूल ऑफ लॉयब्रेरियनशिप, पुस्तकालय विज्ञान में प्रथम पूर्णकालिक अध्ययनशाला है जिसकी स्थापना पुस्तकालय संघ के सुझाव पर कॉरनेगी के अनुदान से सन् 1919 में हुई थी। अब यहाँ लगभग 15 पूर्णकालिक पुस्तकालय विज्ञान पाठ्यचर्यायें चल रही हैं। जो पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोधोपाधि प्रदान करती हैं।
ग्रेट ब्रिटेन को समग्र संसार में सर्वप्रथम सूचीकरण नियमों के निर्माण का श्रेय प्राप्त है। सन् 1841 में सर एन्थोनी पैनीज़ी द्वारा सूचीकरण नियम निर्मित करके उनको ब्रिटिश म्यूजियम लॉयब्रेरी के केटॉलॉग में प्रकाशित किया गया।
पुस्तकालय विकास से संबन्धित प्रमुख व्यक्ति
यूनाईटेड किंगडम में पुस्तकालय विकास में एन्ड्रयू कॉरनेगी तथा जे.पी. एडवर्ड्स का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कॉरनेगी द्वारा कॉरनेगी युनाईटेड किंगडम ट्रस्ट” की स्थापना की गई। इस न्यास ने राष्ट्रीय केन्द्रीय पुस्तकालय, पुस्तकालय संघों, ग्रन्थालयीनता तथा अभिलेखागारों की अध्ययनशालाओं को भी अनुदान दिया। एडवर्ड्स ने लन्दन तथा अपनी काउंटी में स्थित लगभग 20 पुस्तकालयों को भवन तथा ग्रन्थ अनुदान प्रदान किये। इस प्रकार के अनुदानों से यूनाईटेड किंगडम में पुस्तकालयों की संख्या बड़ी तीव्र गति से बढ़ने लगी।
युनाईटेड किंगडम में पुस्तकालय सहयोग
पुस्तकालय सहयोग की दृष्टि से समस्त देश को कई क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जिनमें से प्रत्येक में उसमें सम्मिलित पुस्तकालयों की संघ सूची विद्यमान है। यदि कोई पाठक ऐसे किसी ग्रन्थ का इच्छुक होता है जो स्थानीय पुस्तकालय में उपलब्ध नहीं होता है तो उसके आवेदन पत्र को उस क्षेत्र के मुख्यालय को भेज दिया जाता है। मुख्यालय में यह ज्ञात किया जाता है कि ग्रंथ उस क्षेत्र के किस पुस्तकालय में उपलब्ध है जहाँ से उसको उक्त पुस्तकालय को अन्तराग्रन्थालयीन आदान पर भेज दिया जाता है। उक्त क्षेत्र के किसी भी पुस्तकालय में ग्रन्थ उपलब्ध न होने की स्थिति में उसके आवेदन पत्र को राष्ट्रीय पुस्तकालय भेज दिया जाता है और वहाँ से अन्तरग्रंथालयीन आदान के माध्यम से उक्त पाठक को वांछित ग्रंथ प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार देश के किसी भी भाग में रहने वाला अध्येता, देश के किसी भी भाग से वांछित गन्ध प्राप्त कर सकता है।
सारांश : संयुक्त राज्य अमरीका और युनाईटेड किंगडम दोनों देश पुस्तकालय विकास की दृष्टि से समग्र विश्व में काफी उन्नत हैं। भारत की भांति अमरीका में भी पुस्तकालय सेवा, राज्य सरकारों का उत्तरदायित्व है। सन् 1980 तक सभी अमरीकी राज्यों में जन पुस्तकालय अधिनियम पारित हो चुके थे। संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रीय पुस्तकालय “लायब्रेरी ऑफ कांग्रेस” की गणना संसार के विशालतम पुस्तकालयों में होती है। इसके अतिरिक्त वहाँ चिकित्सा तथा कृषि क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पुस्तकालय हैं। अमरीकन लॉयब्रेरी एसोसियेशन संसार का सर्वप्रथम पुस्तकालय संघ है। जिसकी स्थापना सन् 187 छ में हुई। सर्वप्रथम पुस्तकालय प्रशिक्षण भी सन् 1887 में अमरीका में ही प्रदान किया गया। अमरीका में जन पुस्तकालयों को “लोक
विश्वविद्यालयों” की संज्ञा प्राप्त है और अमरीका को “पुस्तकालयों की भूमि’ कहा जाता है। अमरीका में पुस्तकालय विकास की दृष्टि से कॉरनेगी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। युनाईटेड किंगडम में विश्व का सर्वप्रथम जन पुस्तकालय अधिनियम सन् 1850 पारित हुआ। सन् 1960 तक शत प्रतिशत ब्रिटिश जनता को जन पुस्तकालय सेवा सुलभ हो गई। वहाँ जन पुस्तकालय प्रभावशाली ढंग से कार्य कर रहे है। यहाँ का राष्ट्रीय पुस्तकालय “दी ब्रिटेन लायब्रेरी” भी गणना संसार के विशालतम पुस्तकालयों में एक है। इस देश में “दी लायब्रेरी एसोसियेशन” के नाम से पुस्तकालय संघ की स्थापना सन् 1877 में हुई। यहाँ पुस्तकालय प्रशिक्षण की व्यवस्था इसी संघ दारा सन् 1885 में आरम्भ की गई जो आज भी तीन स्तरों पर प्रदान की जाती है। सर्वाधिक प्रभावी पुस्तकालय सहयोग ब्रिटेन में ही कार्यशील है। वहाँ के जन पुस्तकालय प्रभावशाली ढंग से पुस्तकालय सेवा प्रदान कर रहे है। ब्रिटेन में पुस्तकालय सहयोग की दृष्टि एन्ड्रयू कॉरनेगी और जे.पी. एडवर्ड्स का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है।अभ्यासार्थ प्रश्न
- संयुक्त राज्य अमरीका में बीसवीं शताब्दी में पुस्तकालय विकास पर एक लेख लिखिये।
- युनाईटेड किंगडम में बीसवीं शताब्दी में पुस्तकालय विकास पर एक लेख लिखिये।
- टिप्पणियाँ लिखियेः
• एन्ड्रयू कॉरनेगी का पुस्तकालय विकास में योगदान
• लॉयब्रेरी ऑफ कांग्रेस
• अमरीकन लॉयब्रेरी एसोसियेशन
• राबर्ट समिति का प्रतिवेदन